Sandhya

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लेखनी प्रतियोगिता -03-Jan-2023

 कल्पना 

कल्पना  से परे  था मेरी उम्मीदो का एक शहर
जहाँ हवा तो चलती थी, मगर तन को नहीं छूती थी 
जहाँ ख्वाब  तो आते थे मगर आखे  नहीं  सोती थी
जहाँ बेवजह  बातो मे वजह निकल आती थी
जहाँ  आँख तो रोती थी मगर कोरे ना भीगती थी
कल्पना से परे था मेरी  उम्मीदो का एक  शहर

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9 Comments

बेहतरीन

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Sushi saxena

04-Jan-2023 10:25 PM

शानदार

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